हमको ये मालुम है के आपको मालुम है
हम आपसे इश्क, बेहद इश्क करते है
फिर भी क्युँ आप बार बार सबुत ढुड्ते हो
हम खुदसे लाचार, बेहद लाचार डरते है
फिर भी क्युँ आप बार बार, बेजुवाँ मुड्ते हो
ये दिल तो आसमानी सितारोँमे कबके टुट चुका था,
फिर भी उम्मीदकी एक बुंद पि करके
तन्हानियोँके मेहफीलमे अपनी काफिला खुद रुका था,
क्या पता हमे के आप ईद कि नुर बनके छाओगे
हम काफिरोँको मिल्ने आप खुद खुदा बनके आओगे
हम तो जिने की कश्मकशमे यूँ लप्टे हुये थेँ
प्यारकी अफवाहोँके सकसमे यूँ भट्के रुये थेँ
कि
आपकी नजदिकियोँसे कही दुर, बहुत दुर जाना जरुर था
हम किसिकी प्यारके काबिल नहीँ, हमको ये जो गुरुर था
फिर भी,
लो आज आपसे ये कबुल करते है
हम तो यूँ इन्कारमे, इश्कके मैखाने बाहर ही आप से आप रुक जाते है
पर अकेलेमे इकरारमे, आपकी सज्देमे सर आप से आप झुक जाते है
हमको ये मालुम नहीँ, के आपको मालुम है या नहीँ
हम आपसे इश्क, बेहद इश्क करते है!
Photo by: Toa Heftiba
बढ़िया लिखा है आपने क्या खूब अंदाज है ☺
शुक्रीया मेरे अन्जान दोस्त !